Beijing : चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने ताइवान के चारों ओर बड़े पैमाने पर ब्लॉकेड ड्रिल शुरू कर दिया है. चीन ने इसे “जस्टिस मिशन 2025” नाम दिया है. यह अभ्यास ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों की नाकाबंदी (ब्लॉकेड) का सिमुलेशन करता है, जिसमें लाइव-फायरिंग, समुद्री और हवाई हमले के साथ बाहरी हस्तक्षेप को रोकने की प्रैक्टिस शामिल है. इसे लेकर चीनी सेना के ईस्टर्न थिएटर कमांड का कहना है कि यह अभ्यास ताइवान जलडमरूमध्य के उत्तर और दक्षिण-पश्चिम में केंद्रित है. चीन के ब्लॉकेड ड्रिल से अमेरिका से लेकर जापान तक में खलबली मच गई है.
चीन कर रहा युद्धाभ्यास
बता दें कि इस ड्रिल में चीन की नौसेना, वायुसेना, रॉकेट फोर्स के साथ आर्मी की यूनिट्स शामिल हैं, जो ताइवान को घेरकर ब्लॉकेड और कंट्रोल की क्षमता का परीक्षण कर रही हैं. ऐेसे में चीन का यह युद्धाभ्यास जापान और अमेरिका के साथ ताइवान को लेकर बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच हो रहे हैं और इसे बीजिंग अपना क्षेत्र मानता है.
ऑपरेशंस और मल्टी-डायमेंशनल डिटरेंस
प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्लॉकेड ड्रिल एक ऐसा सैन्य अभ्यास है, जिसमें किसी क्षेत्र को समुद्री और हवाई मार्गों से पूरी तरह घेरकर अलग-थलग करने की प्रैक्टिस की जाती है. इसके साथ ही संबंधित क्षेत्र के आयात-निर्यात को रोकना है. जानकारी के अनुसार ताइवान अपनी ऊर्जा और भोजन का बड़ा हिस्सा आयात करता है. बता दें कि चीन की यह ड्रिल उसकी जबरदस्त नाकाबंदी करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इसके साथ ही क्षेत्र में सटीक हमले, संयुक्त ऑपरेशंस और मल्टी-डायमेंशनल डिटरेंस (बहु-आयामी निरोध) का परीक्षण भी सैन्य अभ्यास का मुख्य अंग है.
ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है चीन
दरअसल, चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है. वहीं इसके साथ ही अमेरिका और जापान जैसे देश ताइवान की संप्रभुता का समर्थन करते हैं. इसके कुछ ही समय पहले अमेरिका ने ताइवान के लिए हथियारों की बिक्री के लिए एक बड़े सौदे को मंजूरी दी थी. इसी वजह से चीन के साथ तनाव और बढ़ गया है. जानकारी के मुताबिक, ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन ने खुले तौर पर इन ड्रिल्स को “बाहरी हस्तक्षेप” को रोकने के मकसद से किया जाना बताया है, इस मामले को लेकर विश्लेषकों ने कहा कि ये ड्रिल्स रूटीन ट्रेनिंग से आगे बढ़कर हमले की तैयारी जैसे लगते हैं, जो अमेरिका और सहयोगियों को कम वॉर्निंग देते हैं.
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