S-400 की 3 बटालियन लेकर समुद्र में उतरा रूस का परमाणु क्रूजर, जानें क्या कर रहे पुतिन?

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Cruiser Admiral Nakhimov : 28 साल बाद रूस ने किरोव श्रेणी के क्रूजर एडमिरल नखिमोव लड़ाकू विमान का व्हाइट सी में परीक्षण शुरू कर दिया है. जानकारी देते हुए बता दें कि ये दुनिया के सबसे बड़े और सबसे भारी हथियारों से लैस वॉरशिप में से एक है. जुलाई के अंतिम सप्‍ताह में रूस का ये युद्धपोत समंदर में उतरा है. इसके साथ ही अभी कई तरह के टेस्ट से गुजर रहा है.

इसकी सबसे खास बात यह है कि ये 28,000 टन के युद्धपोत की मारक क्षमता का है और यह क्रूजर एडमिरल नखिमोव को खास बनाती है. ऐसे में एडमिरल नखिमोव रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 का इस्तेमाल करने वाला पहला युद्धपोत भी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस जहाज पर S-400 की तीन बटालियन तैनात हैं.

जमीन पर सटीक हमले करने में सक्षम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के इस जंगी जहाज पर 80 क्रूज मिसाइलों का शस्त्रागार है. इसमें कई प्रकार की जैसी- 3M14T कलिब्र मिसाइलें हैं. इन मिसाइलों का उपयोग करीब 2500 किलोमीटर दूर जमीन पर सटीक हमले करने के लिए किया जा सकता है. इसके साथ ही इसमें कुछ नई प्रकार की जहाज-रोधी मिसाइलें शामिल हैं. अन्‍य मिसाइलों के मुकाबले इनकी मारक क्षमता अधिक है.

S-400 प्रणालियों की तीन बटालियन ले जाने में सक्षम

जानकारी के मुताबिक, रूस का ये एडमिरल नखिमोव S-400 का इस्तेमाल करने वाला पहला युद्धपोत है. बता दें कि पुराने सिस्‍टम को बदलने के लिए इसे नवीनीकरण के दौरान स्थापित किया गया था. यह क्रूजर इतना सक्षम है कि एक साथ S-400 प्रणालियों की तीन बटालियन ले जा सकता है, जो कि हवा में मार करने वाली मिसाइलों से कई ज्‍यादा अधिक होती है. इसे जमीन आधारित प्रणालियों के रूप में निर्यात करने पर इसकी लागत 1.6 बिलियन डॉलर है.

रूस-यूक्रेन युद्ध में गहन युद्ध परीक्षण

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यह लड़ाकू विमान मैक 8 तक की गति से उड़ान भरने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलों को मार गिराने में भी सक्षम हैं, जानकारी देते हुए बता दें कि यह मिसाइल स्वयं मैक 14 से अधिक गति से उड़ती है. इसके साथ ही यह मिसाइल 40N6 और S-400 सिस्टम की अन्य मिसाइलों का रूस-यूक्रेन युद्ध में गहन युद्ध परीक्षण किया गया है.

रूस के अधिकारियों ने दिया जोर

इस मामले को लेकर रूस के अधिकारियों ने किरोव श्रेणी के आधुनिकीकरण की महत्वपूर्ण क्षमता पर जोर दिया है. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों ने अनुमान लगाते हुए कहा कि भविष्य में इन युद्धपोतों की वायु रक्षा क्षमताएं S-500 और S-550 जैसे हाईटेक सिस्टम के लिए विकसित लंबी दूरी की मिसाइलों के एकीकरण से और भी बेहतर हो सकती हैं.

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