तप से होती है इंद्रियों की शुद्धि: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कालेन स्नानशौचाभ्यां संस्कारैस्तपसेज्या। शुध्यन्ति दानैः सन्तुष्ट्या द्रव्याण्यात्माऽऽत्मविद्यया।। समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है. यह आवश्यक नहीं कि जो भूमि अपवित्र है, वह सदैव अपवित्र रहेगी. जिस भूमि पर आज कूड़ा डाला जा रहा है, अपवित्र है, कल को हो सकता है वहीं मंदिर बन जाय और पूरा मोहल्ला उस भूमि को बंदन करने लगे.

भगवान व्यास भागवत में कहते हैं कि समय पाकर भूमि की शुद्धि होती है. स्नान से तन की शुद्धि होती है. शौचादि से, पवित्रता अपवित्रता का ध्यान रखने से वस्त्रों की शुद्धि होती है. तप से इंद्रियों की शुद्धि होती है. यज्ञ से ब्राह्मण की शुद्धि होती है.दान से धन की शुद्धि होती है. आत्मज्ञान से आत्मा की शुद्धि होती है, इस तरह संस्कारों से गर्भ की शुद्धि होती है.

व्यक्ति जन्मजात महान नहीं है. माता-पिता, गुरू के द्वारा दिए गये संस्कारों से महान बनता है. बच्चों में अच्छे संस्कार आवें ऐसा प्रयास करना चाहिए। माता-पिता, परिवार, समाज और शिक्षण संस्थाओं को जागरूक रहना चाहिए. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम, श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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