Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब जरासंध पीछे पड़ा तो श्रीकृष्ण प्रवर्षण पर चले गये। इससे जरासंध उनका कुछ भी बिगाड़ न सका। जरासंध अर्थात् वृद्धावस्था। वृद्धावस्था पीछे पड़े तो आप भी सात्विक जीवन के प्रवर्षण पर्वत पर पहुँच जाओ इससे वृद्धावस्था आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगी।
क्योंकि जीवन का प्राप्त करने योग्य अन्तिम ध्येय आप तब तक प्राप्त कर चुके होंगे। वृद्धावस्था आये तो आप भी एकान्त में बास करो और सात्विक जीवन व्यतीत करके भगवान की भक्ति करो। पुत्र का विवाह हो जाय, और घर में बहू आ जाय तो यह मानना कि अब आपका गृहस्थाश्रम पूरा हो गया और खूब भजन करने का समय आ पहुँचा है।
मनुष्य पैसे के पीछे पागल बनता है, इसीलिए वह भटकता रहता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।