Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज पवित्रता का कोई मूल्य ही नहीं रह गया है। सभी स्वच्छता को ही पवित्रता मानकर पूजते हैं, परन्तु स्वच्छता और पवित्रता में बहुत अन्तर है। अपनी इच्छा के अनुसार की गई शुद्धि स्वच्छता कहलाती है और सन्त तथा शास्त्र की सम्मति से की गई शुद्धि पवित्रता मानी जाती है।
हाथ शुद्धि के लिए साबुन से हाथ धोना स्वच्छता तो है, पर पवित्रता नहीं है। हाथ पैर की पवित्रता तो मिट्टी से हाथ पैर हाथ धोने और स्नान करने में है।स्टील के बर्तन स्वच्छ तो जरूर हैं, किन्तु पवित्र या आरोग्यप्रद नहीं हैं।इसीलिए सन्त और शास्त्र की सम्मति से की गई शुद्धि पवित्रता गिनी जाती है।
सत्कर्म की प्रेरणा देने के लिए बालक के हाथ से सत्कर्म कराओ। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।