Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रात्रि का पूर्ण अंधकार है, बेड़ियाँ, हथकड़ियां लगी हुई थीं। हाथ को हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। महरानी श्रीदेवकीजी श्रीवसुदेवजी से कहती हैं, हमें भी कभी इन बेड़ियों, हथकड़ियों से मुक्ति मिलेगी? हम भी कभी खुले आसमान में घूम सकेंगे? जानवर को भी कभी-कभी छोड़ा जाता है। हमें तो जानवर से भी ज्यादा बांध दिया गया है। वसुदेव कहते हैं, देवी !
भगवान् का ध्यान करो। क्यों चिंता करती हो ? जब व्यक्ति चारों तरफ से असहाय हो जाये तब उसे भगवान का ध्यान करना चाहिये, वो असम्भव को सम्भव करके दिखा देते हैं। वह बड़ी-से-बड़ी विपत्ति से बचा लेते हैं । देवकी और वासुदेव के हाथों में हथकड़ियां है और पैरों में बेड़ियां हैं । अब दोनों भगवान से प्रार्थना करते हैं, हे दीन उद्धारक! हे करुणा निधान! अब हम पर दया करो। हम अपने पुरुषार्थ से ये बंधन नहीं काट पायेंगे, हम अपने पुरुषार्थ से कारागार से नहीं निकाल पायेंगे, हमें इन बंधनों से मुक्त करो नाथ, हम आपको प्रणाम करते हैं।


