Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीवन दे करके परमात्मा ने हम सब पर बड़ा उपकार किया। हम सबको परमात्मा के प्रति प्रेम हो न हो लेकिन परमात्मा को हम सबके प्रति बहुत प्रेम है। फर्ज की बात सीखनी हो तो श्रीरामजी से सीखो और जीवन का आनंद सीखना हो तो श्रीकृष्ण से सीखो। “जीना अगर सीखना है तो श्रीकृष्ण की बांसुरी से सीख लो, लाख सीने में जखम हो गुनगुनाना सीख लो।”
धर्म संसार से मुख मोड़ लेने का नाम नहीं है, अध्यात्म का अर्थ जीवन से भागना नहीं है, जीवन में जागना है। संसार में समता रखो और श्रीकृष्ण में ममता रखो, संसार में समता हो और परमात्मा के प्रति ममता हो। इतनी सी बात है- जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति प्रभु सो कीजिए। जिंदगी का राज है, यह जानकर जी लीजिए।। गुलाबों की बरसात नहीं होती, गुलाबों की तो खेती करनी पड़ती है।


