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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री जामवंत जी की आज्ञा से भगवान के समस्त सैनिक पत्थर शिला लाकर देते हैं, नल-नील उस पर भगवान का नाम, राम नाम लिखते हैं और पत्थर तैरने लगता है। इस तरह से समुद्र पर सेतु निर्माण का कार्य प्रारम्भ हो गया। पूज्य गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज कहते हैं- राम लिखने से अगर पत्थर तैर रहे हैं। तो क्या हम सब राम नाम का जप करेंगे तो हमारा उद्धार नहीं होगा? अर्थात अवश्य होगा।
श्री रघुवीर प्रताप ते सिन्धु तरे पाषाण।
ते मतिमंद के मोह बस जाहिं भजहिं प्रभु आन।।
भगवान श्रीराम का रावण पर विजय, इसका आध्यात्मिक अर्थ है- सच्चाई की बुराई पर विजय, अपने यहां एक बहुत प्रसिद्ध कहावत है।” सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन हार नहीं सकता है।” वेद में लिखा है-” सत्यमेव जयते” विजय सदैव सत्य की होती है। श्रीधाम अयोध्या में भगवान श्री राम का राज्याभिषेक होता है।
सिंघासन पर त्रिभुवन साईं।
देखि सुरन्ह दुंदुभी बजाईं ।।
श्रीरामचरितमानस में रामराज्य का बड़ा विशद वर्णन है। राम राज्य में-
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहूहि व्यापा ।।
बयरु न कर काहु सन कोई ।
राम प्रताप विषमता खोई ।।
राम राज बैठें त्रैलोका ।
हरषित भये गये सब शोका।।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।