Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को प्रेम से समझाकर प्रभु के मार्ग में लगाने और प्रभु-स्मरण में लीन होकर खुली आँखों से ही प्रभु के दर्शन को ऊँची स्थिति पर पहुँचने की क्रिया चेतन समाधि कहलाती है। मन यदि प्रभु के मार्ग में जायेगा तो अपने आप सुधरेगा और सहज समाधि का अनुभव करेगा।
ऐसे सत्पुरुषों का मन तो खुली आँखों के सामने विकार पूर्ण दृश्य के होने पर भी पवित्र रहता है। इसका कारण यह है कि उनका मन प्रभु में संलग्न हो गया है। यही सच्ची समाधि है। ऐसी भक्ति पूर्ण दशा का अनुभव करते हुए श्री शुकदेव जी गंगा में स्नान करती हुई देवलोक की अनेक देवियों के पास से गुजर गये, पर उनका मन श्रीराधाकृष्ण के श्रीचरणों से जरा सा भी विचलित नहीं हुआ।
इसका कारण यह है कि उन्होंने अपने मन को प्रेम से प्रभु के मार्ग में लगा दिया था। जीवन में क्रांति लाने के लिए ही सत्संग करो। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।