Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण की बुराइयों से परेशान होकर श्रीविभीषणजी जब भगवान श्रीराम की शरण में आये तब प्रभु श्रीराम ने उनको “आइए लंकेश !” कहकर प्रेम से स्वागत किया और रावण – वध से पूर्व ही उनका राज्याभिषेक कर दिया।
श्रीसुग्रीवजी ने शंका उठाई, ” यदि विभीषण की ही तरह रावण भी आपकी शरण में आए तो आप क्या करेंगे। आप तो लंका का राज्य विभीषण को दे बैठे हैं, फिर शरण में आए रावण को क्या देंगे। भगवान श्रीराम ने अत्यन्त स्नेह एवं सद्भाव पूर्वक कहा ” रामो द्विर्नभासते।
राम के बाण की तरह राम का वचन भी एक है। यदि विभीषण की तरह रावण भी शरण में आए तो मैं विभीषण के पास से लंका का राज्य वापस नहीं लूंगा, बल्कि अपना अयोध्या का राज्य रावण को देकर स्वयं बन का साम्राज्य भोगूंगा।” कितनी उदारता ! कितनी अनाशक्ति!
रावण की मृत्यु के बाद लंका के राज्य की आसक्ति पैदा ही न हो इस सम्बन्ध में कितनी सावधानी! प्रभु को हिसाब देने का पवित्र दिन मृत्यु का दिन है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।