Thiruvananthapuram: केरल में एक बेहद चौंकाने वाला मामला आया है. राज्य में छात्रों की आत्महत्या दर बढ़ती जा रही है. आंकड़े कि बात करें तो पिछले एक दशक में करीब 50% ऐसे मामले बढ़े हैं. इससे स्कूली बच्चों के ‘मेंटल हेल्थ’ को लेकर बहस होने लगी है. वहीं विशेषज्ञों ने इस वृद्धि को ‘बढ़ते शैक्षणिक और सामाजिक दबावों, नाजुक पारिवारिक माहौल और युवाओं की उभरती मनोवैज्ञानिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थता से जोड़ा है.’
केरल में 39,962 लोगों ने की आत्महत्या
राज्य विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, ‘जनवरी 2021 और मार्च 2025 के बीच केरल में 39,962 लोगों ने आत्महत्या की. यह संख्या 2021 में 6,227 थी, जो 2023 में बढ़कर 10,994 तक पहुंच गई. हालांकि, इन सभी मौतों में छात्र शामिल नहीं थे, लेकिन कहीं न कहीं यह समस्या विकराल होती जा रही है.’ NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, ‘2022 में पूरे भारत में 13,044 छात्रों ने खुदकुशी की थी.’
पलक्कड़ के श्रीकृष्णपुरम की 9वीं की छात्रा आशीर्नंदा का मामला
केरल में कुछ जिले विशेष रूप से प्रभावित हैं. अकेले कोझीकोड में 2022-23 शैक्षणिक वर्ष में 53 छात्रों ने खुदकुशी की. पलक्कड़ के श्रीकृष्णपुरम की 9वीं की छात्रा आशीर्नंदा का मामला, इन आंकड़ों के पीछे छिपे हुए मानवीय क्षति को उजागर किया है. शिक्षकों द्वारा बार-बार उपहास उड़ाए जाने के बाद उसने घर पर ही खुदकुशी कर ली. वह अपने पीछे अधूरे चित्र और एक नई स्कूल रिकॉर्ड बुक छोड़ गई. उसके पिता प्रशांत और मां सजीता अपनी बेटी के लिए अब भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
उसके अपमान ने तोड़ दिया उसका हौसला…
प्रशांत ने बताया कि ‘वह एक प्रतिभाशाली बच्ची थी, जिसके सपने थे. लेकिन, उसके अपमान ने उसका हौसला तोड़ दिया.’ इस संकट से निपटने के लिएए केरल सरकार ने 3,000 शिक्षकों को ‘मेंटल हेल्थ काउंसलर’ के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम का ऐलान किया है. शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा कि ‘इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को संकट के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने, बुनियादी परामर्श प्रदान करने और जरूरत पड़ने पर छात्रों को पेशेवर सेवाओं से जोड़ने में मदद करना है.’
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