Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वास्तव में सत्य न नूतन है, न पुरातन है। सत्य तो सनातन है। उस सनातन सत्य की बात कहने वाले ये शास्त्र हैं। शास्त्र वचन और गुरु वचन पूर्णनिष्ठा पूर्वक मानना श्रद्धा है। शास्त्र प्रमाण श्रेष्ठ है। शब्द प्रमाण श्रेष्ठ है।
आज सभी कहते हैं कि हमारे पास सब कुछ है, लेकिन शांति नहीं है। सो हम क्या करें ? भैया शांति के लिए कुछ करना नहीं है, बस जो कर रहे हो वो सब बंद कर दो। भीतिजन्य शांति किसी काम की नहीं। प्रीतिजन्य शांति चाहिए। भीतिजन्य शांति श्मशान की शांति है। अध्यात्म से ही प्रीतिजन्य शांति होगी।
भगवान् की कथा अर्थात् नीरस जीवन को सरस करे वही है कथा। जीवन में आनंद नहीं है क्योंकि रस नहीं है। रस में सराबोर कर कर दे वही है कथा और इससे आनन्द, मस्ती, मौज से भर जायेंगे। रस नाम परमात्मा का है। जीवन में पैसा है परन्तु प्रभु नहीं हैं इसलिए रस नहीं है।


