अगर आपको अक्सर बुरे सपने आते हैं तो सावधान! रिसर्च में हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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अगर आपको नींद के दौरान अक्सर डरावने या बेचैन कर देने वाले सपने आते हैं, तो इसे हल्के में न लें. हाल ही में एक रिसर्च में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है कि हफ्ते में एक या उससे अधिक बार बुरे सपने आना आपकी सेहत को लेकर किसी गंभीर खतरे का संकेत हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक डरावना सपना नहीं, बल्कि समय से पहले मौत और गंभीर बीमारियों का शुरुआती इशारा भी हो सकता है.

लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में स्टडी

लंदन के इम्पीरियल कॉलेज (Imperial College) में की गई एक स्टडी में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. रिसर्च में यह पाया गया कि जिन लोगों को बार-बार डरावने सपने आते हैं, उनके अंदर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और उन्हें 70 साल से पहले मौत का खतरा तीन गुना अधिक होता है. इस अध्ययन में करीब 1.80 लाख लोगों को शामिल किया गया था, जिनमें वयस्कों के साथ-साथ बच्चे भी शामिल थे.

रिसर्च में क्या मिला?

रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ कि बार-बार बुरे सपने आने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है. यह हार्मोन न केवल मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. इसकी वजह से शरीर में सूजन बढ़ने लगती है और आंतरिक अंगों पर नकारात्मक असर पड़ता है. समय के साथ यह प्रभाव हमारे क्रोमोसोम्स जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं पर भी पड़ता है, जिससे बुढ़ापा जल्दी आने की संभावना बढ़ जाती है.

डॉक्टरों का क्या माना

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव की वजह से इंसान की रोगों से लड़ने की ताकत कमजोर होने लगती है. यही नहीं, बुरे सपने आने का संबंध मानसिक बीमारियों से भी जोड़ा गया है. जिन लोगों को डिप्रेशन, एंग्जायटी या पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी समस्याएं होती हैं उन्हें बुरे सपने आने की आशंका ज्यादा होती है. इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल बीमारियां जैसे कि स्किजोफ्रेनिया, डिमेंशिया और पार्किंसन के शुरुआती लक्षणों में भी बुरे सपने देखे जा सकते हैं.

रिसर्च में और क्या मिला?

रिसर्च ने यह भी पाया गया है कि लगातार बुरे सपने देखने वाले लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. जब हम नींद में होते हैं और दिमाग तनाव की स्थिति में होता है, तो इसका सीधा असर दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर पर पड़ता है. यह बदलाव धीरे-धीरे मिलकर हृदय संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले सकते हैं.

रिपोर्ट में क्या बताया गया?

स्टडी की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि बुरे सपनों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. उदाहरण के तौर पर, 2019 में जहां 6.9% लोगों ने बार-बार डरावने सपने आने की बात कही थी, वहीं 2021 तक यह आंकड़ा बढ़कर 11% तक पहुंच गया. यह बढ़ोत्तरी बताती है कि हमारी जीवनशैली, बढ़ता तनाव और मानसिक स्वास्थ्य किस हद तक प्रभावित हो रहे हैं.

बुरे सपनों का क्या इलाज है?

फिलहाल बुरे सपनों के लिए कोई निर्धारित दवा या इलाज नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ मामलों में साइकोथेरेपी कारगर हो सकती है. इस थेरेपी के ज़रिए मरीज की मानसिक स्थिति को समझते हुए उसके डर, चिंता और तनाव की जड़ तक पहुंचा जाता है और उनका इलाज किया जाता है.

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