Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।। प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। मनुष्य का जीवन भावना प्रधान है। आप अपने मन में जैसे विचार करेंगे वैसे ही आपका मन बनता जायेगा। आपके विचारों को कभी न कभी मूर्तरूप अवश्य मिल जायेगा।
जिन्ह के रही भावना जैसी।
प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।।
वस्तु के प्रति आपकी भावना प्रधान है। हम मन में जैसा भाव रख लें हमारा स्वरूप वैसा ही बन जाता है। एक व्यक्ति प्रातः काल लोटे में जल भर के हाथ पैर धोने गया। गांव की बात है। कुछ अंधेरा था। वह थोड़ा बहुत बीमार भी था। अंधेरे में हाथ पैर धोने गया, थोड़ा समय लगा। जब हाथ-पैर धोकर पानी मुख में भर कर फैंका और जब नीचे नजर पड़ी, तो लाल-लाल सब भरा पड़ा हुआ था। उसने सोचा कि मेरे मुख से इतना खून निकल गया और अब मैं मर जाऊंगा। सर्दी के दिन थे, बड़ी भयानक सर्दी थी। लेकिन उसके शरीर से पसीना आने लगा, भय के कारण।
इतना खून निकल गया। मैं मर जाऊंगा। मुश्किल से घर पहुंचा लड़खड़ाते हुए, हाथ पैर भी ठीक से नहीं धो पाया, खाट में गिर गया और डॉक्टर को बुलाओ, डॉक्टर को बुलाओ, लोग पसीना पोंछ रहे हैं, पंखा झुला रहे हैं। क्या हुआ ?एक किलो खून निकल गया मैं मर जाऊंगा। इतने में उसका सोता हुआ बच्चा उठा, खाट के नीचे देखकर रोने लगा होली के दिन थे। उसने लोटे में रंग घोल के रखा था- कहने लगा “मेरा रंग कौन ले गया?
और पिता ने जब सुना तो कहने लगा कि डॉक्टर को वापस लौटा दो। मैं ठीक हो गया”। देखो भावना में कितना बड़ा चमत्कार है। ये भाव बन गया कि मेरे खून निकला और बिना खून निकले ही वह घबरा गया। कई लोगों को जो हार्ट-अटैक होता है? इसी आधार पर हुआ करता है। बीमारी थोड़ी ही होती है, इतना भयानक नहीं। जब कोई कष्ट आया, जबरदस्त पसीना आना शुरू हो गया और पसीना आया और डॉक्टरों ने कहा चलो सम्पन्न परिवार से मरीज आ गया। उन्होंने कहा तुमको हार्ट अटैक है, लो दवाई खा लो, पड़े रहो आराम से। भावना से ही जीवन बनता है। आप जैसा भाव बनाओ, वैसे बन जाओगे।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।