Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, योगी अपने मन को बलपूर्वक बस में करने का प्रयत्न करते हैं, परन्तु इससे वह पूरा बस में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी तो बीच में दगा भी दे बैठता है।
किन्तु भगवान के भक्त सत्संग का आश्रय लेकर हठयोग के बदले प्रेम से समझा कर मन को बस में रखते हैं।आप अपने मन के ही गुरु बनो। दूसरों के गुरु बनकर नई जवाबदारियां उठाने के बजाय अपने मन को समझाकर सुधारो, क्योंकि आप स्वयं समझाओगे तभी यह मानेगा।
समर्थ गुरु स्वामी श्रीरामदासजी ने जिस प्रकार अपने मन को बोध दिया था, उसी प्रकार आप भी अपने मन को सद्बोध प्रदान करो। पुण्य कार्यों में जो सहयोग-सहायता प्रदान करते हैं, वे भी पुण्यभागी बनते हैं।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।