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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन्दिर में प्रभु के पास जाओ, तब प्रभु के उपकारों का स्मरण करो, हृदय को भावना से भर दो और भावपूर्ण हृदय से परमात्मा की वंदना करो। वंदन में हृदय का भाव मिला हुआ हो तभी वह सार्थक बनता है।
वंदन केवल हाथ या सिर से नहीं, बल्कि हृदय से करना चाहिए। प्रभु के चरणों में नम्रता पूर्वक वंदन करने का भाव रखने से प्रभु खूब प्रसन्न होते हैं और जीव को प्रत्यक्ष लाभ होता है। अतः क्षण-क्षण वंदन करने का भाव रखो।
प्रभु पदार्थ से नहीं प्रणाम से प्रसन्न होते हैं। पदार्थ से जो खुश होता है वह जीवात्मा है और प्रणाम से जो प्रसन्न होते हैं वह परमात्मा हैं। संसार के सारे सम्बन्ध ईश्वर की आराधना, उपासना के लिए ही मिले हैं। जीवन में त्याग, सेवा, सत्कार्य और भक्ति करना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।