शरीर को परोपकार एवं परमात्मा के काम में पूरी तरह से लगा देना ही है सच्चा पिंडदान: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रेम की पराकाष्ठा- प्रत्यक्ष दर्शन के विषय में गोपिकायें इतनी अधिक आगे बढ़ गई थी कि श्रीकृष्ण के ध्यान में वे स्वयं स्त्रियां हैं – यह भी भूल जाती थी। वे भावमग्न दशा में श्रीकृष्ण के वियोग से व्याकुल बनी हुई सखी से कहने लगतीं, अरे सखी , तू कृष्ण को ढूंढने के लिए क्या व्यर्थ इधर-उधर घूमती है! मैं ही तेरा कृष्णा हूं. अर्थात् गोपिया तो “लाली देखन में गई मैं भी हो गई लाल” इस भावना की प्रकाष्ठा पर पहुंच गई थी।
यही कारण है कि जब श्रीकृष्ण के विरह में पागल बनी हुई गोपी को उन्होंने निर्गुण ब्रह्म का उपदेश देना प्रारंभ किया तो गोपियों ने भक्ति भाव में तल्लीन होकर कहा था। उधो ज्ञान की अनोखी बातों को दूर रखो, हम गांव की ग्वालीनों को यह सब कुछ समझ में नहीं आता हम तो जब कृष्ण कृष्ण रहती हैं तब उन्हें हृदय से में से बाहर निकाल कर हमारी आंखों के समक्ष आना ही पड़ता है प्रेम की कैसी पराकाष्ठा/शरीर को परोपकार एवं परमात्मा के काम में पूरी तरह से लगा देना ही सच्चा पिंडदान है.
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी,  बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
Latest News

China Marine Economy 2025: पहली तीन तिमाहियों में 79 खरब युआन तक पहुंचा चीन का समुद्री सकल घरेलू उत्पाद

इस वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में चीन का समुद्री सकल घरेलू उत्पाद (Marine GDP) 79 खरब युआन तक...

More Articles Like This