Pranayama Benefits: आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी में खुद को सेहतमंद रखना किसी चुनौती से कम नहीं. भारतीय योग पद्धति के पास तन-मन को स्वस्थ रखने के सभी गुण हैं. योगासन और प्राणायाम इसी श्रेणी में आते हैं. चार अति लोकप्रिय प्राणायाम हैं जिनका अभ्यास रोज किया तो फर्क जरूर महसूस करेंगे.
अनुलोम-विलोम
नाड़ी शोधन, (Pranayama Benefits) जिसे अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी कहते हैं, आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह मन को शांत करने, एकाग्रता बढ़ाने और चिंता को कम करने में मददगार है. तरीका बेहद सरल है. इसके लिए आप शांत होकर पद्मासन में बैठें और पीठ को सीधा रखें. इसके बाद आंखें बंद कर लें और बायीं नासिका से श्वास लें, दाहिनी नासिका से श्वास छोड़ें, फिर दाहिनी से सांस लें और बाईं से छोड़ें. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं.
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि रोजाना 5-10 मिनट अनुलोम-विलोम करने से रक्तचाप कंट्रोल होता है, साथ ही चेहरे पर निखार आता है. अगर आपको नींद अच्छे से नहीं आती है, शरीर में थकान बनी रहती है और दिमाग भी शांत नहीं रहता है, तो यह आपके लिए बेहद फायदेमंद है. इसे करने से शरीर की ऊर्जा बनी रहती है और फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं.
कपालभाति प्राणायाम के फायदे
ऐसा ही है कपालभाति प्राणायाम. कपालभाति प्राणायाम डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है. इससे दिमाग और नर्वस सिस्टम को भी ऊर्जा मिलती है. हालांकि कपालभाति अधिकतर लोगों के लिए अच्छा है, पर कुछ लोगों को इसे करने से बचना चाहिए. जिन लोगों को कपालभाति न करने की सलाह दी जाती है, उनमें गर्भवती महिलाएं, मासिक धर्म के समय, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, स्लिप डिस्क या पेट दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग शामिल हैं. यही नहीं, अगर आपको चक्कर या बेचैनी जैसी समस्या है, तो भी विशेषज्ञ कपालभाति न करने की सलाह देते हैं.
भ्रामरी के नहीं हैं कोई साइड इफेक्ट
बात भ्रामरी की. तो भ्रामरी के अनगिनत फायदे हैं. यह न केवल मेंटल हेल्थ में भी फायदेमंद है, बल्कि भ्रामरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति, चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग, कभी भी कर सकता है. भ्रामरी के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं.
उज्जायी प्राणायाम से दूर होंगी ये समस्सयाएं
उज्जायी प्राणायाम, जिसे ‘विजयी श्वास’ या ‘समुद्री श्वास’ भी कहते हैं, इसमें श्वास को गले से धीरे-धीरे लिया जाता है और छोड़ा जाता है, जिससे एक हल्की सी घरघराहट या सीटी की आवाज होती है. यह शरीर में गर्मी पैदा करता है, जो मानसून के मौसम में सर्दी-जुकाम से बचाव के लिए उपयोगी हो सकता है.