Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जेब में से रुपये गिर जायें तो हमें खूब दुःख होता है, किन्तु यदि खोने से पूर्व ही उनका किसी दुःखी मनुष्य की आंखों के आंसू पोंछने में उपयोग हो जाये तो हमें अनोखे आनन्द का अनुभव होता है।
अर्थात् हमें जो प्राप्त है। वह खो जाय, इसके पूर्व ही किसी अच्छे कार्य में उसका उपयोग करके अर्पण का आनन्द प्राप्त करने में ही बुद्धिमानी है। बस जिंदगी में भी ऐसा ही है। एक-न-एक दिन संसार के राग-रंग खो ही जाने वाले हैं। जिस शरीर को हम खुद सजा-कर रखते हैं, वह भी जल जाने वाला है।
परन्तु उस समय तक यदि शरीर को सत्कर्मों में लगाने का संतोष प्राप्त न किया गया और शरीर का मोह कम न हुआ तो कुछ भी छोड़ने की तैयारी न होते हुए भी सब कुछ छोड़ने की विवशता में कितनी वेदना होगी?इसलिए इस दुर्लभ देह को खो देने की स्थिति आने के पूर्व ही परोपकार और प्रभु-सेवा में इसका सदुपयोग करते रहो। वैभव तुमको छोड़ जाये, इसके पूर्व ही तुम उसे छोड़ दो।
अपकीर्ति वाला मनुष्य जीवित होकर भी मरे हुए के समान है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।