Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ज्ञानी महापुरुष केवल मन्दिर में ही नहीं, बल्कि प्राणी मात्रा में प्रभु के दर्शन करते हैं। वे तो जड़ पदार्थ में भी परमात्मा की सत्ता का अनुभव कर सकते हैं। उसके अनुसार तो फूल में भी प्रभु विराजमान है, जिसके कारण वह सुगन्ध प्रदान करता है।
यही कारण है कि फल को देखते ही वह तुरन्त प्रभु के चरणों में अर्पण करने के लिए तत्पर हो जाता है। प्रत्येक में प्रभु के दर्शन करते-करते ज्ञानी महापुरुष इतने तन्मय हो जाते हैं कि उन्हें स्वयं में भी परमात्मा के दर्शन होते हैं और वे अनुभव करते हैं कि जो प्रभु वैकुण्ठ में विराजमान है वे ही प्रत्येक जड़ चेतन में भी हैं। अतः वे मुझमें भी सर्वदा विराजमान हैं।
इस प्रकार प्रभु के साथ स्थापित किया गया सतत भक्ति-संयोग ही उसे अपार शक्ति और शाश्वत आनन्द का आस्वादन कराता है। ज्ञान की बातें करने से नहीं, बल्कि उनका उपयोग करने से जीवन सफल होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।