Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव आतिशय नम्रता और भावनापूर्वक भक्ति करे तो भक्तवत्सल भगवान तो भक्त के ही बन जाते हैं। परन्तु अधिकतर ईश्वर को पाने के बाद जीव गाफिल बन जाता है, अभिमान में फूल जाता है और हाथ में आए हुए ईश्वर को खो देता है।
अतः ईश्वर के मिलने के बाद भी भक्ति तो चालू ही रखो। जिस साधन से प्रभु मिले हों, उस साधन को प्रभु के मिलने के बाद हम छोड़ दें तो हमारे जैसा कृतघ्न और कौन होगा ? हमें कृतघ्न नहीं बनना है। जीव ईश्वर के साथ जैसा सम्बन्ध स्थापित करता है, वैसा सम्बन्ध ईश्वर हमेशा बनाए रखता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।